On 15th August,
2015, Dainik Bhaskar, Jaipur edition, published an article on re-fixing of
seniority lists as per the N R Parmar SC judgement. Since then received many
messages through the social networking platforms about the status of our
seniority lists in Central Excise.
Ever since the
pronouncement of the said Supreme Court judgement and the subsequent contempt
petition filed in Mumbai-CAT, CESA-Mumbai has vigorously tried to impress upon
the powers in AIACEGO in the meetings held with them. But, on one or the other
pretext, when no positive response was received from AIACEGO, no other
alternative was left except knocking on the doors of Mumbai-CAT. CESA-Mumbai,
along-with other petitioners filed 2 petitions in Mumbai-CAT, namely :-
a)
petition for revising the seniority list pertaining to 1982 to 1986, and
b)
petition for revising the seniority list pertaining to 1986 onwards.
CESA-Mumbai, also
represented to the Board and requested that similar directions be given as per
the apex court judgement to instruct all the CCA to revise the seniority lists.
Board has recommended our representations and positive communications is
expected along the same lines of the CBDT instructions.
ü Both
the petitions are admitted in Mumbai-CAT and scheduled for hearing on
24-Aug-2015.
ü Another
petition in Mumbai-CAT filed by the promotee inspectors, Waghamre vs UoI &
others is also scheduled for final disposal on 21-Aug-2015.
ü Petition
filed jointly by CESA, Pune, Mumbai, Goa, Nashik & Indore, on regional
disparity in seniority list is also expected to heard by Mumbai-CAT, in
Aug-2015.
देशभर
के
आयकर
अफसरों
की
वरिष्ठता
बदली
जाएगी
वित्त मंत्रालय ने दिए एनआर परमार केस का आदेश लागू करने के निर्देश:
आयकरविभाग में अफसरों की वरिष्ठता
को लेकर बहुत बड़ा बदलाव होने जा रहा है। वित्त मंत्रालय ने एनआर परमार केस में सुप्रीम
कोर्ट के फैसले को लागू करने के निर्देश दिए है, जिसकी पालना में आयकर विभाग ने भी
सभी प्रधान मुख्य
आयकर अधिकारी को
वरिष्ठता सूची 30 जुलाई तक
पुन: तैयार करने
के निर्देश दिए
थे। राजस्थान आयकर
विभाग ने यह
एक्सरसाइज शुरू कर
दी है और
पिछले बीस सालों
का रिकॉर्ड देख
कर वरिष्ठता सूची
दुबारा तैयार कर रहा
है। वरिष्ठता में
इस बदलाव का
राजस्थान में ही
करीब 1200 अफसरों पर पड़ेगा।
अब वेकेंसी वर्ष
से
मिलेगी
वरिष्ठता
: एनआरपरमार केस सीधी
भर्ती और पदोन्नत
अफसरों के बीच
का फासला बढ़ने
के कारण हुआ
था। सालों से
विभाग में डेट
ऑफ अपॉइंटमेंट से
वरिष्ठता दी जाती
थी, चाहे डेट
ऑफ वेकेंसी दो
साल पुरानी ही
क्यों हो। सुप्रीम
कोर्ट के फैसले
के बाद पदोन्नतियां
डेट ऑफ वेकेंसी
के साल से
मानी जाएगी, इसलिए
वरिष्ठता सूची को
दुबारा बनाया जा रहा
है।
सिर्फ3 जगह
आदेश
लागू
था,
अब
पूरे
देश
में:
सुप्रीमकोर्ट के यह
आदेश नवंबर 12 का
है। मगर अब
तक अहमदाबाद, लखनऊ
और गुवाहाटी में
इस आदेश के
मुताबिक वरिष्ठता दी गई
है। वित्त मंत्रालय
के अंडर सेक्रेटरी
बृज मोहन ने
16 जुलाई 15 को देश
के सभी प्रधान
मुख्य आयकर अधिकारियों
से कहा कि
वे अपने यहां
वरिष्ठता सूची तैयार
करे। इससे पहले
30 मार्च 10 अप्रैल 15 को डीजीआईटी
(एचआरडी) की अध्यक्षता
में बैठकें हुई
जिसमें सभी को
निर्देशित किया गया
कि वे 30 जुलाई
15 तक वरिष्ठता सूची
तैयार कर विभाग
को भेजें।
सिर्फ राजस्थान में 1200 अफसरों
पर असर : यूं तो यह
आदेश पूरे देश
में लागू करने
के निर्देश हैं,
सभी प्रदेशों में
यह काम चल
रहा है। राजस्थान
में भी काम
शुरू हो चुका
है। इसमें लगभग
240 आईटीओ, 480 इंस्पेक्टर और 500 टैक्स
असिस्टेंट, ऑफिस सुपरिटेंडेंट
अपर डिविजन के
क्लर्क शामिल है, जिनकी
वरिष्ठता ऊपर-नीचे
हो सकती है।
साथ ही वे
सहायक आयकर अफसर
भी प्रभावित होंगे
जिन्होंने पुराने नियम से
पदोन्नति प्राप्त की है
और उन आईटीओ
को पदोन्नति मिलेगी
जो रह गए
थे।
राजस्थान में लागू कर रहे हैं
यह आदेश: सुप्रीम कोर्ट के यह
आदेश नवंबर 12 का
है। मगर अब
तक अहमदाबाद, लखनऊ
और गुवाहाटी में
इस आदेश के
मुताबिक वरिष्ठता दी गई
है। वित्त मंत्रालय
के अंडर सेक्रेटरी
बृज मोहन ने
16 जुलाई 15 को देश
के सभी प्रधान
मुख्य आयकर अधिकारियों
से कहा कि
वे अपने यहां
भी वरिष्ठता सूची
तैयार करे। इससे
पहले 30 मार्च 10 अप्रैल 15 को
डीजीआईटी (एचआरडी) की अध्यक्षता
में बैठकें हुई
जिसमें सभी को
निर्देशित किया गया
कि वे 30 जुलाई
15 तक वरिष्ठता सूची
तैयार कर विभाग
को भेजें।
The matter is under consideration in cbec also but as usual with snail pace. Neither aiceia nor cengo has taken up the issue in right earnest otherwise decision would have been taken by the cbec. Even after pronouncement of apex court and dopt directions the decision makers in cbec are not deciding the issue as decided in cbdt and compelling the inspector supdt to enter into unnecessary litigation. Associations should take up the issue vigorously as taken in cbdt as this will bring uniformity and justice.
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